जेटली का मोदी को पत्र- खराब स्वास्थ्य के कारण नई सरकार में कोई जिम्मेदारी नहीं चाहता

नई दिल्ली. निवर्तमान वित्त मंत्री अरुण जेटली (66 साल) ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नई सरकार में शामिल होने को लेकर असमर्थता जताई। जेटली ने पत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के बाद जेटली को तीन मंत्रालयों- वित्त, रक्षा और सूचना एवं प्रसारण की जिम्मेदारी सौंपी थी। पिछले साल मई में किडनी ट्रांसप्लांट के बाद से जेटली का स्वास्थ्य पूरी तरह सही नहीं है। फरवरी में वो अंतरिम बजट भी पेश नहीं कर पाए थे। उस वक्त जेटली अमेरिका में इलाज करवा रहे थे। उनकी जगह पीयूष गोयल ने बजट पेश किया था।

जेटली ने पत्र में लिखा- ''पिछले पांच साल सरकार का हिस्सा रहना मेरे लिए गर्व और सीखने का अनुभव था। बीते 18 महीनों से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से गुजर जूझ रहा हूं। हालांकि, मेरे डॉक्टरों ने ज्यादातर बीमारियों से निकलने में मदद की। आपके (मोदी) चुनाव अभियान के खत्म होने और केदारनाथ जाने से पहले मैंने मौखिक रूप से आपको बता दिया था कि नई सरकार में शामिल नहीं हो पाऊंगा। इसके बाद भी पार्टी और सरकार की अनौपचारिक मदद करता रहूंगा।''

जेटली तीन सप्ताह से दफ्तर नहीं जा पाए थे: सूत्र
सूत्र के मुताबिक, जेटली की सेहत पिछले कुछ सप्ताह से खराब है। उन्हें कुछ टेस्ट के लिए एम्स में भर्ती भी किया गया था। डॉक्टरों ने उन्हें इलाज के लिए यूके और यूएस जाने की सलाह दी है। वे बीते तीन सप्ताहों से दफ्तर नहीं गए। लोकसभा चुनाव में पार्टी की जीत के बाद भाजपा कार्यालय में हुए कार्यक्रम में वो नजर नहीं आए। पिछले शुक्रवार को कैबिनेट बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे।

जेटली को दो बार रक्षा मंत्रालय का प्रभार मिला था

मई 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद जेटली को वित्त और रक्षा मंत्रालय का प्रभार दिया गया था। वे 2014 में छह महीने रक्षा मंत्री रहे। बाद में मनोहर पर्रिकर रक्षा मंत्री बनाए गए। उनके गोवा का मुख्यमंत्री बनने के बाद जेटली को 2017 में छह महीने के लिए दोबारा यह प्रभार दिया गया। बाद में उनकी जगह निर्मला सीतारमण रक्षा मंत्री बनीं। जेटली की बीमारी के चलते पीयूष गोयल ने दो बार वित्त मंत्रालय संभाला था।

उधर, केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन भी शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होंगे। नरेंद्र मोदी 30 मई को राष्ट्रपति भवन में दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। 

बंगाल में हत्याओं का राजनीति से संबंध नहीं- ममता

ममता ने एक पत्र के जरिए शपथ ग्रहण में शामिल न होने की जानकारी दी। उन्होंने लिखा- नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी बधाई। मेरी योजना थी कि आपका न्योता स्वीकार करूं और शपथ ग्रहण समारोह में आऊं। हालांकि, पिछले एक घंटे से मीडिया रिपोर्ट में भाजपा दावा कर रही है कि बंगाल में 54 लोगों की राजनीतिक हिंसा के दौरान हत्या हुई। यह पूरी तरह से गलत है। बंगाल में कोई भी राजनीतिक हत्या नहीं हुई। ये निजी वैमनस्य, पारवारिक कलह और ऐसे ही दूसरे विवादों के चलते हुई हैं। इनका राजनीति से कोई संबंध नहीं है और न ही हमारे पास ऐसा कोई साक्ष्य है। ऐसे में मैं बाध्य हूं कि शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा ना लूं। नरेंद्र मोदीजी मैं माफी चाहती हूं।

ममता ने लिखा- शपथ ग्रहण लोकतंत्र को मनाने का गरिमामय मौका होता है। यह ऐसा मौका नहीं होता है, जिसकी गरिमा को कोई दल अपने राजनीतिक फायदे के लिए इस्तेमाल करके कम कर दे। मुझे माफ करें।

हिंसा में मारे गए कार्यकर्ताओं के परिवार शपथग्रहण में शामिल होंगे

मोदी ने बंगाल हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवार को भी शपथग्रहण में शामिल होने का आमंत्रण दिया है। बंगाल में लोकसभा चुनाव के दौरान हिंसा में भाजपा कार्यकर्ता मनु हंसदा, चंदन शॉ और संतू घोष की हत्या कर दी गई।

पश्चिम बंगाल में मिदनापुर के भाजपा कार्यकर्ता मनु हंसदा की हत्या कर दी गई थी। मनु के बेटे ने मोदी के शपथग्रहण में शामिल होने के सवाल पर कहा- "मेरे पिता को टीएमसी के गुंडों ने मार डाला। अब हमारे इलाके में शांति है। हम खुश हैं कि हम दिल्ली जा रहे हैं।" मिदनापुर लोकसभा सीट से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने जीत दर्ज की है। उन्होंने तृणमूल के उम्मीदवार मानस भूनिया को हराया।

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