नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के एक और मामले में 7 साल की सजा

पाकिस्तान की एंटी करप्शन कोर्ट ने बर्खास्त प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के एक और मामले में सात साल कैद की सजा सुनाई है। उन पर 25 लाख डॉलर (करीब 175 करोड़ रुपए) का जुर्माना भी लगाया गया है। सोमवार को यह सजा अल अजीजिया स्टील मिल्स मामले में सुनाई गई। फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट्स से जुड़े एक और मामले में उन्हें बरी कर दिया गया। इससे पहले इसी साल जुलाई में लंदन के अवेनफील्ड स्थित 4 फ्लैट से जुड़े मामले में नवाज को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। इस मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उन्हें सितंबर में ही जमानत दे दी थी और सजा को सस्पेंड कर दिया था।

क्या है अल अजीजिया स्टील मिल्स केस?

पनामा पेपर्स के खुलासे के बाद 8 सितंबर 2017 को नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो ने नवाज शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ अल अजीजिया स्टील मिल्स केस दर्ज किया था। नवाज शरीफ के पिता मोहम्मद शरीफ ने 2001 में सऊदी अरब में अल अजीजिया स्टील मिल्स की स्थापना की थी। शरीफ परिवार का कहना था कि इसके लिए सऊदी सरकार ने कर्ज दिया था। इसके बदले में एक संपत्ति गिरवी भी रखी गई थी। जबकि नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो का कहना था कि इस मिल की स्थापना पाकिस्तान में जुटाए गए कालेधन से की गई थी। इसके लिए हिल मेटल के नाम से एक कंपनी बनाई गई और पाकिस्तान से आए कालेधन को सफेद किया गया। एंटी करप्शन कोर्ट ने ब्यूरो की जांच को सही ठहराया और नवाज शरीफ को दोषी करार दिया।

कोर्ट ने नहीं टाला अपना फैसला
68 साल के शरीफ पर अल-अजीजिया स्टील मिल्स और फ्लैगशिप इन्वेस्टमेंट्स में घोटाले का आरोप था। जज ने दोनों मामलों में पिछले हफ्ते ही फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले शरीफ के वकील ने इन दोनों मामलों में फैसले को कुछ दिनों के लिए टालने की अपील की थी। वकील का तर्क था कि वे केस से जुड़े कुछ और दस्तावेज कोर्ट में पेश करना चाहते हैं। लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग खारिज करते हुए 24 दिसंबर को ही फैसला देने की बात कही। 2017 में जवाबदेही कोर्ट ने शरीफ को आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने का दोषी ठहराया था।

अवेनफील्ड मामले में मिली थी 10 साल की सजा 
इससे पहले अवेनफील्ड प्रॉपर्टीज केस में जवाबदेही कोर्ट ने 6 जुलाई को नवाज शरीफ, मरियम और कैप्टन सफदर को दोषी पाया था। नवाज शरीफ पर आय से अधिक संपत्ति होने का आरोप था। वहीं, मरियम पर नवाज को लंदन में चार फ्लैट खरीदने के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, इस मामले में फैसला आने के दो महीने बाद ही इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में तीनों की सजा निलंबित कर दी थी।

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